सीनियर क्रिकेट में जो काम ऑस्ट्रेलिया ने किया, उसे अंडर-19 में भारतीय खिलाड़ियों ने कर दिखाया। क्या है वह काम?

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वेस्टइंडीज़ में खेली गई चौदहवी आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में चैंपियन बनकर भारतीय अंडर-19 टीम ने इतिहास रचा है । अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के भविष्य के स्टार खिलाड़ियों को पहचानने वाली अंडर-19 विश्व कप हर 2 साल में एक बार होता है। उसी हिसाब से इस साल आईसीसी अंडर-19 श्रृंखला की 14वी सीजन समाप्त हुई है । पिछले जनवरी महीने को शुरू हुई इस श्रृंखला में दिल्ली के युवा खिलाड़ी यश धुल के नेतृत्व में भारतीय टीम ने इस श्रृंखला के आरंभ से ही अद्भुत प्रदर्शन किया है ।

पहले खेली गई लीग राउंड में भारतीय टीम का सामना साउथ अफ्रीका, आयरलैंड और युगांडा टीम से हुआ और भारत ने इन तीनों टीमों को हराकर हैट्रिक जीत प्राप्त करके भारत की टीम नॉकआउट के लिए क्वालीफाई हो गई । उसके बाद खेली गई नॉकआउट राउंड में भारत का सामना वर्तमान चैंपियन बांग्लादेश से हुआ जिसे हराकर भारत सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई हो गई।

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सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत इंग्लैंड के खिलाफ के फाइनल के लिए क्वालीफाई हो गई। इंग्लैंड के खिलाफ की फाइनल में भारतीय गेंदबाजों ने अद्भुत प्रदर्शन किया और इंग्लैंड सिर्फ 189 रन ही बना पाई। उसके बाद चेसिंग में भारतीय टीम ने 48 ओवर में सिर्फ 6 विकेट गंवाकर 195 रन बनाकर 4 विकेट के फर्क से एक बड़ी जीत प्राप्त की ।इसके जरिए वे आईसीसी अंडर-19 विश्वकप 2022 के चैंपियन बन गए।

इसके पहले भारतीय अंडर-19 टीम 2000, 2008, 2012 और 2018 में चैंपियन बनी ।इस साल चैंपियन बनकर, पांचवी बार इस विश्व कप को जीतने का अनोखा रिकॉर्ड बनाया है भारतीय टीम ने। सीनियर के क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया ही ऐसी टीम है जिसने 5 बार कप जीती है और हमेशा ही ऑस्ट्रेलिया एक बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली टीम रही है ।वैसे ही अंडर-19 विश्वकप के इतिहास में अगर हम सबसे शक्तिशाली टीम को ढूंढे तो जरूर भारत ही होगा ।

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अंडर-19 विश्वकप के इतिहास में लगातार सबसे ज्यादा बार फाइनेंस पहुंची टीम भारत ही है ।कुल मिलाकर देखा जाए कि कौन सी टीम बहुत ज्यादा बार फाइल्स खेली है, तो वह टीम भी भारत है। 2016, 2018, 2020 और 2022, लगातार इन 4 सालों में भारतीय अंडर-19 टीम फाइनल्स के लिए क्वालीफाई हुई है। अगर इस श्रृंखला के शुरू होने से, मतलब 1998 से देखा जाए तो कुल 8 बार भारतीय टीम फाइनेंस के लिए क्वालीफाई हुई है । अंडर-19 क्रिकेट में देखा जाए तो विश्व की डोमिनेशन भारतीय टीम ही कर रही है ।

यह कहना ठीक होगा कि भारतीय लोगों के खून में क्रिकेट मिला हुआ है। पिछले 2019 से कोरोना के कारण रणजी ट्रॉफी सहित कोई भी सीनियर क्रिकेट मैच भारत में खेला नहीं गया। अंडर-19 जूनियर क्रिकेट में भी कोई भी श्रृंखला भारत में नहीं खेली गई। इन सब के बावजूद, ऐसी स्थिति में, जब इस विश्वकप में सभी टीमों ने जब गलतियां की, तब सिर्फ भारत ही एक टीम थी जिसने 1 मैच भी नहीं हारी और कप जीती । स्पष्टतः पहेली लीग ग्राउंड में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए पहले मैच के बाद टीम के कप्तान यश धूल सहित भारतीय टीम के 6 मुख्य खिलाड़ी को कोरोना के कारण सबसे अलग कर दिया गया था।

वह भारतीय टीम के लिए बहुत ही कठिन परिस्थिति थी ,जब सबके मन में संदेह था कि क्या भारत नॉकआउट राउंड के लिए क्वालीफाई हो पाएगी। उस समय बेंच में बैठे खिलाड़ियों को टीम में मौका देकर पूरे स्फूर्ति के साथ भारतीय टीम जीत पर जीत पाकर आगे बढ़ती गई । नॉकआउट राउंड में क्वालीफाई होने के बाद यश धूल सहित छह खिलाड़ी ने भारतीय टीम में वापसी कर दी, जिसके कारण हमारी जीत लगभग तय हो गई थी। एक जीत भारतीय क्रिकेट की एक मज़बूत भविष्य का संदेश देता है।

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