कप्तानी को छोड़ने के बावजूद मैं धोनी द्वारा दिखाए गए पथ पर ही चलूंगा – विराट कोहली ने ली शपथ।

dhoni and kohli
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भारतीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों के कप्तान रहे विराट कोहली, कुछ समय पहले उस पद से इस्तीफा देकर अभी टीम में साधारण खिलाड़ी बनकर खेल रहे हैं ।2017 में भारतीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों के कप्तान बने विराट कोहली ने, सिवाय विश्वकप के, कईं खेलों में जीत हासिल करके इतिहास रचा है। विदेश में भी भारत ने बड़ी जीत दर्ज की है । स्पष्टतः टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया को पहली बार हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की। साथ ही इंग्लैंड में भी भारत ने उनके खिलाफ बड़ी जीत हासिल की।

जब विराट भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान बने, तब भारत सिर्फ अपने देश में जीतने लायक के टीम थी। उसके स्तर को विश्वस्तर तक ऊंचा करने का श्रेय विराट कोहली को ही जाता है ।एकदिवसीय और टी-20 क्रिकेट में उनके कप्तानी के बारे में कईं विचार विमर्श किए जा रहे हैं। लेकिन जहां तक टेस्ट क्रिकेट का सवाल है यह कहना बिल्कुल ठीक रहेगा की विराट ही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं।

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अपनी कप्तानी से इस्तीफा देने के बाद हम उम्मीद कर रहे हैं कि वे नेतृत्व में किसी भी प्रकार की दाखिला ना देकर सिर्फ अपने बल्लेबाजी पर ही पूरा ध्यान देने वाले हैं। कहा जा रहा है कि पिछले 2019 के बाद उन्होंने एक शतक भी नहीं बनाई। इसके कारण ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब वे पूरी तरह से अपने बल्लेबाजी पर ध्यान देने वाले हैं। लेकिन उनके इस अचानक के निर्णय से भारतीय टीम के नेतृत्व में थोड़ी गड़बड़ हो रही है। स्पष्टतः कुछ सप्ताह पहले खेले गए साउथ अफ्रीका के खिलाफ के एकदिवसीय श्रृंखला में रोहित शर्मा के गैर हाजरी में भारत ने एक मैच भी नहीं जीती और वह पूरी श्रृंखला वाइटवॉश हो गई।

उस श्रृंखला के दौरान टीम की कप्तानी कर रहे केएल राहुल एक तरफ बैठे थे और भूतपूर्व कप्तान विराट, दूसरी तरफ बैठे थे ।दोनों ने मैच के दौरान उसके बारे में कोई चर्चा नहीं की। इस तरह उनके अलग-अलग बैठने के कारण सोशल मीडिया में कहा गया था कि इससे साफ पता चलता है कि विराट और भारतीय टीम के प्रशासन के बीच काफी झगड़ा चल रहा है । इसे देखने के बाद पाकिस्तान के भूतपूर्व खिलाड़ी दानिश कनेरिया ने खुलकर कहा कि भारतीय टीम में दरार साफ दिखाई दे रही है ।

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ऐसी स्थिति में विराट कोहली ने अब कहा है कि कप्तानी से इस्तीफा देने के बावजूद भी वे लगातार भारतीय टीम को अपना सहयोग देते रहेंगे ।उन्होंने कहा है कि पहले आपको अच्छी तरह से जानना है कि आपको क्या हासिल करना है। और उसके बाद में आपने कितना हासिल किया है उसकी अच्छी समझ होना हर किसी खिलाड़ी के लिए बहुत ही आवश्यक है ।आपको समझना है कि इस विषय के लिए हमेशा कॉल सीमा और अंजाम है ।

एक बल्लेबाज के रूप में आपको अपनी टीम के लिए अच्छा योगदान देना आवश्यक है ।एक टीम का नेतृत्व करने के लिए उसकी कप्तानी करना आवश्यक नहीं है ।जब धोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक साधारण खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम के लिए खेलना शुरू किया ,तब हम यह नहीं कह सकते कि उन्होंने नेतृत्व में भाग नहीं लिया। टीम का नेतृत्व ना करते हुए भी वे लगातार अपनी सोच और अपने तकनीक, टीम को बताते ही रहे ।जीत और हार हमारे हाथ में नहीं है ।

जब खेल की संस्कृति के रूप में देखा जाए तो आपके द्वारा खेले गए साल और आपकी जिम्मेदारी उस से बढ़कर है ।विराट कोहली ने साफ बताया है कि भारतीय टीम का मार्गदर्शन करने के लिए उसका कप्तान रहना आवश्यक नहीं है। विराट कोहली के नेतृत्व में खेलने के बावजूद महेंद्र सिंह धोनी हमेशा नेतृत्व को अपना सहयोग देते रहे और उन्होंने भारतीय टीम का पथ प्रदर्शन किया ।उन्हीं के द्वारा दिखाए गए पथ पर ही विराट चलने वाले हैं ।

कप्तानी से सही समय पर बाहर आना भी एक अच्छे नेतृत्व का लक्षण है। हर किसी को सभी प्रकार के मौके और जिम्मेदारी को अपनाना चाहिए। मैं धोनी के नेतृत्व में खेलने के बाद ही भारतीय टीम का कप्तान बना ।मेरे मानसिक स्तिथि में कोई बदलाव नहीं है। एक साधारण खिलाड़ी होकर टीम में खेलने के समय भी मैं अपने आपको एक कप्तान ही समझता था ।मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि हमारे टीम में नेतृत्व की कोई कमी नहीं है। मैं भारतीय टीम के लिए मेरे दृष्टि को काबू में लाना चाहता हूं ।हर दिन जी जान से काम करना ही हमारी संस्कृति है। एक कप्तान होकर हमारी टीम चाहे जितनी भी खराब परिस्थिति में क्यों न हो, उससे वापसी करके एक अच्छी जीत पाने की संस्कृति को टीम में लाने की मैंने पूरी कोशिश की।

विराट कोहली ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय टीम में उनके आखिरी दिन तक वह हमेशा हर पल भारतीय टीम के जीत के लिए पूरे प्रयास करते रहेंगे ।विराट कोहली ने उनके कप्तानी के समय, उनका अन्य खिलाड़ियों से बर्ताव के बारे में भी कुछ बातें कहीं है। हम किसी से भी नहीं कह सकते कि आपकी राय हमें बिल्कुल नहीं चाहिए ।

हर किसी रिश्ते में अच्छी संपर्क के लिए ऐसी मनोभाव ना होना बहुत ही आवश्यक है । आपको दूसरों की राय को खुलकर अपनाना चाहिए।आप पूरी मर्यादा के साथ कह सकते हैं कि मैं एक बहुत अच्छी स्थान में हूं। उस समय अगर मुझे आप से कोई सहायता की जरूरत पड़े,तो मैं जरूर आपसे आकर पूछूंगा ।इस प्रकार मैंने सभी से अच्छी संपर्क बनाए रखने की पूरी कोशिश की है।

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