“मैं खेलने से पहले हनुमान चालीसा सुनता था” भारत के इस पूर्व खिलाड़ी ने बताई अपनी सफलता की वजह

Gautam Gambhir
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भारतीय क्रिकेट में गौतम गंभीर का योगदान बहुत बड़ा है। उन्हें सभी विस्फोटक बल्लेबाजी करने वाले सहवाग के साथ सबसे उपयुक्त पार्टनर मानते थे। प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक प्रतिभा न होने के बावजूद, उन्होंने भारत के लिए कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं।

उनकी शानदार बल्लेबाजी की वजह से उन्हें 2009 में ICC टेस्ट बैट्समैन ऑफ द ईयर का प्रतिष्ठित खिताब भी मिला था। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज हमेशा ही कठिन परिस्थितियों में डटकर मुकाबला करने और टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए जाने जाते हैं।

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उनकी 2011 विश्व की पारी को तो भारत का प्रत्येक क्रिकेट प्रशंसक कभी भी नहीं भूल सकता। विश्व कप फाइनल जैसे बड़े मंच पर जब भारतीय टीम सचिन और सहवाग के रूप में अपने शुरुआती विकेट गंवाकर संकट में दिख रही थी, गंभीर ने डटकर मुकाबला किया और टीम को स्थिरता दी थी।

हालांकि उनकी मुकाबला करने की क्षमता का प्रमाण नेपियर में न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार टेस्ट पारी से मिलता है। अपनी उस पारी में उन्होंने मुश्किल पिच पर ढाई कठिन दिनों तक मुकाबला किया था और एक बेहद ही लम्बी पारी खेलते हुए 136 रन बनाए थे।

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ऐसी लम्बी पारियों को खेलने के लिए सभी बल्लेबाज अपने लिए अलग-अलग उपाय आजमाते हैं। वीरेंद्र सहवाग अकसर बल्लेबाजी करते समय खुद को नियंत्रित और लंबे समय तक फोकस बनाये रखने के लिए बॉलीवुड के गाने गाया करते थे। उसी तरह गंभीर ने बताया की उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ करने से मदद मिलती थी।

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उन्होंने कहा, “बहुत कम लोग यह कहानी जानते हैं और यह बेहद ही दिलचस्प है। मुझसे कई बार यह पूछा गाया है की नेपियर में मैच के दौरान मैं ढाई दिन तक बल्लेबाजी कैसे कर पाया। हमारे मैनेजर माने काका संगीत बजाते थे, और हर दिन दोपहर के भोजन, चाय के दौरान और अपने कमरे में मैं हनुमान चालीसा सुनता था।” उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात की पुष्टि भी की है।

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