आईपीएल श्रृंखला में कल गुजरात टाइटन और लखनऊ सुपरजाइंट्स के बीच लीग मैच खेली गई थी जिसमें अपनी टीम की पहली मैच में ही गुजरात टाइटंस ने बड़ी जीत दर्ज की है। अब तक क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में कप्तानी के अनुभव के बिना पहली बार गुजरात टाइटंस टीम की कप्तानी किए हार्दिक पांड्या ने अपनी कप्तानी का सफर जीत के साथ शुरू की है ।
उन्होंने पहले भारतीय टीम के लिए एक ऑलराउंडर के रूप में अपनी सफर शुरू की लेकिन कुछ साल पहले उनको लगी चोट के कारण उन्होंने अब गेंदबाजी करना बिलकुल छोड़ दिया है जिसकी वजह से उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया है । आईपीएल श्रृंखला में वे इतने साल तक मुंबई इंडियंस टीम के लिए खेल रहे थे और इसी वजह से उस टीम ने भी हार्दिक पांड्या को इस बार टीम में रिटेन नहीं किया है।
इस साल आई नई टीम गुजरात टाइटंस ने हार्दिक पांड्या को 15 करोड़ के लिए नीलाम किया है और उन्हें उस टीम का कप्तान नियुक्त किया है । कल के मैच में सब को मुंहतोड़ जवाब देने की तरह उन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में ही चमत्कार करके एक सच्चे ऑलराउंडर के रूप में अपनी टीम को यह जीत दिलाई है। उन पर भरोसा करने वाले सबका दिल उन्होंने कल के मैच के द्वारा जीत लिया है ।
उन्होंने एक साक्षात्कार में अपनी दुख भरी बचपन के बारे में खुलकर बात की है । मेरी करियर के शुरुआत में मुंबई इंडियंस के मुझे चुनने के 3 महीने के पहले भी मेरे बैंक के खाते में हजार रुपए भी नहीं थे। गुजरात के सूरत नगर में जन्म लिए हार्दिक पांड्या उनके भाई कृणाल पांडे के साथ मिलकर लगातार घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे।
तब इनकी काबिलियत को पहचान कर उनके पिता हिमांशु को लगा की इनकी कैरियर में बढ़ोतरी के लिए इन्हें ऐसी जगह में रहना होगा जहां इनके विकास की उम्मीद हो। इनके पिताजी सूरत में एक कार फिनेंस कंपनी चला रहे थे और इन दोनों को मौका देने को मध्य नजर रखते हुए वह सूरत से वडोदरा आ गए । उसके बाद वहां मौजूद भारत के भूतपूर्व खिलाड़ी किरण मोर के अकैडमी में जुड़कर घरेलू क्रिकेट खेलने लगे और रोज 400 से ₹500 कमा कर अपने परिवार के लिए देते थे।
लेकिन यह पैसा घर चलाने के लिए बिल्कुल काफी नहीं था जिसकी वजह से इन्होंने अपनी मन में ठान ली कि जहां कहीं भी घरेलू क्रिकेट आयोजित की जाए वहां जाकर खेलें ताकि घर चलाने के लिए काफी पैसा मिले। इस तरह घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे इन दोनों भाइयों ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और पिछले 2015 में मुंबई इंडियंस टीम के प्रशासन ने इन दोनों भाइयों को नीलाम किया ।
उसके बाद मुंबई इंडियंस टीम की जीत में इन दोनों भाइयों ने अहम भूमिका निभाई और इसके जरिए 2016 में हार्दिक पांड्या को भारतीय टीम में शामिल होने का सुनहरा मौका मिला। यह उल्लेखनीय है कि अब वे भारतीय क्रिकेट के नंबर 1 तेज गेंदबाज ऑलराउंडर है जो आज करोड़ों में कमा रहे हैं। लेकिन इतने पैसे, शोहरत और ख़ुशी के पीछे इतनी बड़ी दुख भरी कहानी है।