क्या वे मेरी पत्नी है ?मुझे उन पर कोई गुस्सा नहीं है – हरभजन सिंह का ओपन टॉक।

Harbhajan singh
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भारत के भूतपूर्व स्टार स्पिनर खिलाड़ी हरभजन सिंह ने कुछ महीने पहले क्रिकेट के तीनों प्रारूपों से अपने रिटायरमेंट घोषित कर दी। टेस्ट क्रिकेट में 400 से ऊपर विकेट लिए हरभजन ने, टेस्ट खेलों में हैट्रिक लिए पहले भारतीय गेंदबाज के रिकॉर्ड भी बनाया है ।आखिर में भारतीय टीम के लिए उन्होंने 2016 में एक मैच खेली और उसके बाद आईपीएल श्रृंखला में मुंबई चेन्नई जैसे टीम के लिए खेलकर कप दिलाई है। अब आईपीएल क्रिकेट से भी इन्होंने रिटायरमेंट घोषित कर दी और सब उम्मीद कर रहे हैं कि वे जल्द ही किसी आईपीएल टीम के कोच के रूप में वापसी करेंगे।

रिटायरमेंट के बाद पिछले महीने उन्होंने एक साक्षात्कार में उन्होंने बीसीसीआई पर आरोप लगाया था कि सिर्फ 31 साल की आयु में उन्होंने 400 टेस्ट विकेट लिए थे ।इसके बावजूद बिना किसी वजह के उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा था कि उस समय भारतीय टीम के कप्तान रहे एमएस धोनी ने भी उनका सहयोग नहीं दिया ।उन्होंने यह भी कहा था कि 2011 विश्वकप जीतने के बाद उस टीम में उनके साथ खेले खिलाड़ी जैसे वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और गौतम गंभीर को 2015 के विश्वकप में खेलने का मौका धोनी ने नहीं दिया था ।

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हरभजन सिंह ने कहा है कि उस समय उनके जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी जो 30 से 35 साल की आयु में थे और जिन्होंने 2011 की विश्व कप जीती थी, उन्हें फिर से एक साथ 2015 के विश्वकप में खेलने के मौका नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा था कि इस सिलसिले में कई बार बीसीसीआई और धोनी से सवाल करने पर भी किसी ने भी कोई सही जवाब उन्हें नहीं दिया। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि धोनी के प्रति उनके क्रोध के कारण ही इतने दिनों के बाद अपने रिटायरमेंट की घोषणा करने के बाद वे धोनी और आईसीसीआई पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं

ऐसी स्थिति में अब हरभजन सिंह कह रहे हैं कि धोनी के प्रति उनके मन में कोई क्रोध या विरोध नहीं है । एक टेलीविजन चैनल में इससे संबंधित प्रश्न उनसे करने पर उन्होंने कहा है कि इस सिलसिले में मैंने जब पहली बार अपने मन की बात शेयर की, तब सब लोगों ने उसे विभिन्न प्रकार से देखा था। मैंने सिर्फ यह विषय को सबके सामने लाने की कोशिश की, कि 2012 के बाद कई विषयों को और भी सही तरीके से किया जा सकता था।

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मैं सहवाग ,युवराज सिंह ,गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ी तभी रिटायरमेंट घोषित कर सकते थे जब हम भारत के लिए खेल रहे थे। क्योंकि उस समय हम सब आईपीएस श्रृंखला में खेल रहे थे। लेकिन 2011 के विश्व कप में खेल कर कप दिलाने के बावजूद हमें क्यों 2015 के विश्वकप में खेलने का मौका नहीं दिया गया ।उस समय हमारे साथ खेले सिर्फ कुछ खिलाड़ियों को 2015 के विश्वकप खेल के लिए क्यों मौका दिया गया?

इन प्रश्नों के जवाब पाने के लिए मैंने यह बात फिर से हाथ में ली है ।मुझे धोनी के प्रति कोई भी शिकायत नहीं है। मेरा और धोनी का रिश्ता बहुत ही अच्छा है। मेरी उनसे शादी नहीं हुई है। कहा जाए तो उन सारे सालों में हमने बहुत अच्छी दोस्ती निभाई है। मेरी शिकायत तब कि बीसीसीआई के अधिकारियो के खिलाफ ही है। मैं बीसीसीआई को सरकार ही बुलाऊंगा। उस समय चयन समिति के अधिकारी ने नेक काम नहीं किया है।

उन्होंने हमेशा भारतीय टीम के लिए खेल रहे खिलाड़ियों के बीच कुछ ना कुछ समस्या खड़ा करने की कोशिश की है। जब टीम में वरिष्ठ खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हो तब टीम में युवा खिलाड़ियों को लाने की क्या जरूरत थी ?जब मैंने इस प्रश्न को चयन समिति से किया तब उन्होंने कहा है कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है। ऐसी एक गैर जिम्मेदार जवाब देकर उन्होंने मुझे शांत करने की कोशिश की। अगर चयन समिति में होने के बावजूद आप कह रहे हैं कि खिलाड़ियों के चयन में आपका कोई हाथ नहीं है, तो वहां आपका काम क्या है? इसके साथ ही उन्होंने फिर से इस बात पर जोर दिया कि मुझे धोनी के प्रति कोई शिकायत नहीं है। हमारा रिश्ता बहुत ही बढ़िया है। ऐसे कह कर उन्होंने पिछली बार अपने द्वारा कही गई बातों के विरुद्ध अपने मन की बात कही है।

2011 के विश्वकप के बाद जिन खिलाड़ियों के नाम हरभजन सिंह ने लिए हैं, उन सभी वरिष्ठ खिलाड़ियों को भारतीय टीम में खेलने का मौका दिया गया था। लेकिन उन सब के खराब प्रदर्शन के कारण ही टीम में युवा खिलाड़ियों को तब के कप्तान एमएस धोनी ने मौका दिया। उनके इस साक्षात्कार से हमें साफ पता चलता है कि उन्होंने बिल्कुल यह बात नहीं समझी कि अगर उस समय भारतीय टीम में खेलने के लिए युवा खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया जाता तो अब के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम को कभी नहीं मिलते।

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