यह पहली बार होगा की एकदिवसीय विश्व कप पूरी तरह से भारत में आयोजित किया जा रहा है। ऐसे में देश के सभी क्रिकेट प्रेमियों और प्रशंसकों के मन में बस इस विश्व कप में भारत के जीतने की चाह है और सभी को टीम से बहुत उम्मीदें हैं।
भारत ने इससे पूर्व 50 ओवर का विश्व कप धोनी के नेतृत्व 2011 में जीता था। इसके बाद खेले गए 2015 और 2019 के विश्व कप में भारतीय टीम फाइनल में भी नहीं पहुँच सकी है। कहा जा रहा है की इसकी मुख्य वजह टीम में पार्ट टाइम गेंदबाजों की कमी का होना है।
देखा जाए तो 2011 वर्ल्ड कप सीरीज के दौरान सचिन, सहवाग, रैना, युवराज जैसे कई बल्लेबाज पार्ट टाइम गेंदबाजी भी किया करते थे। यहाँ तक की युवराज सिंह ने अपनी गेंदबाजी से भारत के काज मैचों में मिली जीत में बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
ऐसा माना जाता है की भारत के लिए 2011 वर्ल्ड कप में पार्ट टाइम गेंदबाजों के होने से बाकी गेंदबाजों पर दबाव कम हो गया था, क्योंकि 10 से 15 ओवर की गेंदबाजी भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उन्हीं से करवा लेते थे। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ होने वाली तीन मैचों की वनडे सीरीज से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “अभी की भारतीय टीम में पार्ट टाइम गेंदबाजों की कमी की मुख्य वजह आईसीसी के नियमों में बदलाव है। अभी नियम यह कहता है की 30 गज के घेरे के अंदर 5 फील्डर होने चाहिए, इसलिए सभी बल्लेबाज पार्ट टाइम गेंदबाजों के खिलाफ खुलकर शॉट्स खेलते हैं।”
“पहले जब 30 गज के घेरे के अंदर केवल चार खिलाड़ियों को अनुमति थी बल्लेबाजों के पास बाउंड्री लगाने के कम विकल्प मौजूद थे। जब से नियमों में बदलाव हुए हैं तब से कई बल्लेबाजों ने रन बनाना शुरू कर दिया। इसी वजह से अब पार्ट टाइम गेंदबाजों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता और केवल भारत की नहीं पूरी दुनिया की टीमों के साथ यही समस्या है।