सोमवार, 21 अगस्त, यानी आज दोपहर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने 30 सितम्बर से शुरू होने वाले एशिया कप के लिए एक 17 सदस्यों की टीम का चयन किया है। कुछ समय पहले नियुक्त हुए मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की अगुआई में हुई बैठक के बाद टीम का चयन किया गया।
हालाँकि यह पहली बार था जब टीम चयन के बाद पत्रकारों के समक्ष लाइव टीवी पर टीम चयन का खुलासा किया गया। साथ ही पहली बार चयन समिति ने पारदर्शिता दिखाते हुए सभी के साथ सवाल-जवाब में हिस्सा लिया और खुलकर उत्तर दिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये अजीत अगरकर और रोहित ने यह खुलासा किया की श्रेयस अय्यर बिकलहुल फिट हो चुके हैं और टीम में शामिल किए गए हैं। वहीं के एल राहुल को लेकर भी चयन समिति ने खुलकर बताया की वह ठीक हो चुके थे, परंतु उन्हें कुछ नई परेशानी आयी है जिस वजह से उनपर दृष्टि अभी बनायीं राखी जाएगी। हालाँकि वह टीम में चुने गए हैं।
टीम का चयन जब भी होता है किसी के लिए खुशियां लाता है तो किसी के लिए थोड़ा दुःख, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। कई प्रशंसकों ने इस बार भी चयन समिति पर कुछ सवाल खड़े किए हैं। आइये हम आपको तीन ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताते हैं जिन्हें शायद जगह मिलनी चाहिए थी।
3. शिखर धवन:
शिखर धवन हमेशा से ही भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देते आये हैं। विशेष रूप से उनका किसी भी बड़े टूर्नामेंट में रिकॉर्ड शानदार रहा है। ऐसे में उन्हें कुछ समय से एक तरफ कर देना समझ के परे है।
2. संजू सैमसन:
विकेटकीपर की भूमिका के साथ-साथ संजू एक बेहद ही शानदार बल्लेबाज और तेज-तर्रार फील्डर हैं। हालाँकि हमेशा से ही उन्होंने टीम को ध्यान में रखते हुए खेला है। उन्होंने 13 एकदिवसीय मैचों में 55.71 के औसत के साथ 104 की स्ट्राइक रेट से 390 रन बनाए हैं। सूर्यकुमार यादव जिनका एकदिवसीय में बेहद ही साधारण प्रदर्शन रहा है उन्हें संजू सेमसन के ऊपर तरजीह देना थोड़ा आश्चर्यचकित करता है।
1. युजवेंद्र चहल:
दाएं हाथ के लेग स्पिनर जो एक समय में भारतीय टीम का अभिन्न अंग थे, कुछ समय से बदकिस्मत साबित हुए हैं। पिछले साल हुए T20 विश्व कप 2021 टीम में भी उन्हें जगह नहीं मिल पायी थी। हालाँकि आईपीएल 2023 में उन्होंने जबरदस्त फॉर्म का प्रदर्शन करते हुए 14 मैचों में 21 विकेट लिए। हालाँकि कुछ समय से उनका एकदिवसीय रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहा है। लेकिन इस बार का वर्ल्ड कप भारत में होने से उन्हें भारतीय पिचों पर अधिक मदद मिलने की उम्मीद थी, इसलिए भारत उन्हें एक मौका दे सकता था।